Matthew 16 in Urdu

1 फिर फ़रीसियों और सदूक़ियों ने पास आकर आज़माने के लिए उससे दरख़्वास्त की;कि हमें कोई आसमानी निशान दिखा।

2 उसने जवाब में उनसे कहा “शाम को तुम कहते हो, ‘खुला रहेगा , क्यूँकि आसमान लाल है’

3 और सुबह को ये कि ‘आज आन्धी चलेगी क्यूँकि आसमान लाल धुन्धला है ’तुम आसमान की सूरत में तो पहचान करना जानते हो मगर ज़मानों की आलामतों में पहचान नहीं कर सकते ।

4 इस ज़माने के बुरे और ज़िनाकार लोग निशान तलब करते हैं; मगर यूनाह के निशान के सिवा कोई और निशान उनको न दिया जाएगा। और वो उनको छोड़ कर चला गया ”।

5 शागिर्द पार जाते वक़्त रोटी साथ लेना भूल गए थे।

6 ईसा' ने उन से कहा, “ख़बरदार, फ़रीसियों और सदूक़ियों के ख़मीर से होशियार रहना।”

7 वो आपस में चर्चा करने लगे, “हम रोटी नहीं लाए।”

8 ईसा' ने ये मालूम करके कहा ऐ कम ऐतिकादों तुम आपस मे क्योँ चर्चा करते हो कि हमारे पास रोटी नहीं?

9 क्या अब तक नहीं समझते और उन पाँच हज़ार आदमियों की पाँच रोटियाँ तुम को याद नहीं? और न ये कि कितनी टोकरियाँ उठाईं?

10 और न उन चार हज़ार आदमियों की सात रोटियाँ? और न ये कि कितने टोकरे उठाए।

11 “ क्या वजह है कि तुम ये नहीं समझते कि मैंने तुम से रोटी के बारे मे नहीं कहा ““फ़रीसियों और सदूक़ियों के ख़मीर से होशियार रहो|””

12 जब उनकी समझ में न आया कि उसने रोटी के खमीर से नहीं; बल्कि फ़रीसियों और सदूक़ियों की ता'लीम से ख़बरदार रहने को कहा था।

13 जब ईसा' क़ैसरिया फ़िलप्पी के इलाक़े में आया तो उसने अपने शागिर्दों से ये पूछा“ लोग इब्न-ए- आदम को क्या कहते हैं?”

14 उन्होंने कहा “कुछ यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कहते हैं। कुछ एलिया और कुछ यरमियाह या नबियों में से कोई।”

15 “ उसने उनसे कहा; ““मगर तुम मुझे क्या कहते हो?””

16 “ शमा'ऊन पतरस ने जवाब में कहा“तू ज़िन्दा ““ख़ुदा”” का बेटा मसीह है।””

17 ईसा' ने जवाब में उससे कहा;” मुबारक है तू शमऊन बर-यूनाह, क्यूँकि ये बात गोश्त और ख़ून ने नहीं बल्कि मेरे बाप ने जो आसमान पर है; तुझ पर ज़ाहिर की है।

18 और मैं भी तुम से कहता हूँ; कि तू पतरस है; और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा। और आलम- ए-अरवाह के दरवाज़े उस पर ग़ालिब न आएँगे।

19 मैं आसमान की बादशाही की कुन्जियाँ तुझे दूँगा; और जो कुछ तू ज़मीन पर बाँधे गा वो आसमान पर बाँधेगा और जो कुछ तू ज़मीन पर खोले गा वो आसमान पर खुलेगा ”

20 उस वक़्त उसने शागिर्दों को हुक्म दिया कि किसी को न बताना कि मैं मसीह हूँ।”

21 उस वक़्त से ईसा' अपने शागिर्दों पर ज़ाहिर करने लगा “कि उसे ज़रूर है कि यरूशलीम को जाए और बुज़ुर्गों और सरदार काहिनों और आलिमों की तरफ़ से बहुत दु:ख उठाए; और क़त्ल किया जाए और तीसरे दिन जी उठे।”

22 “ इस पर पतरस उसको अलग ले जाकर मलामत करने लगा “ऐ ख़ुदावन्द, ““ख़ुदा”” न करे ये तुझ पर हरगिज़ नहीं आने का।””

23 “ उसने फिर कर पतरस से कहा, “ऐ शैतान, मेरे सामने से दूर हो ! तू मेरे लिए ठोकर का बा'इस है; क्यूँकि तू ““ख़ुदा”” की बातों का नहीं बल्कि आदमियों की बातों का ख़याल रखता है।””

24 उस वक़्त ईसा' ने अपने शागिर्दों से कहा; अगर कोई मेरे पीछे आना चाहे तो अपने आपका इन्कार करे; अपनी सलीब उठाए और मेरे पीछे हो ले।

25 क्यूँकि जो कोई अपनी जान बचाना चाहे उसे खोएगा; और जो कोई मेरी ख़ातिर अपनी जान खोएगा उसे पाएगा।

26 अगर आदमी सारी दुनिया हासिल करे और अपनी जान का नुक़्सान उठाए तो उसे क्या फ़ाइदा होगा?

27 क्यूँकि इब्न-ए-आदम अपने बाप के जलाल में अपने फ़रिश्तों के साथ आएगा; उस वक़्त हर एक को उसके कामों के मुताबिक़ बदला देगा।

28 “ ““मैं तुम से सच कहता हूँ कि जो यहाँ खड़े हैं उन में से कुछ ऐसे हैं कि जब तक इब्न-ए-आदम को उसकी बादशाही में आते हुए न देख लेंगे; मौत का मज़ा हरगिज़ न चखेंगे।””