John 8 in Urdu

1 मगर ईसा' जैतून के पहाड़ पर गया |

2 सुबह सवेरे ही वो फिर हैकल में आया, और सब लोग उसके पास आए और वो बैठकर उन्हें ता'लीम देने लगा |

3 और फ़कीह और फरीसी एक 'औरत को लाए जो ज़िना में पकड़ी गई थी, और उसे बीच में खड़ा करके ईसा' से कहा,

4 “ ““ऐ उस्ताद! ये 'औरत ज़िना में 'ऐन वक़्त पकड़ी गई है|”

5 “ तौरेत में मूसा ने हम को हुक्म दिया है, कि ऐसी 'औरतों पर पथराव करें | पस तू इस 'औरत के बारे में क्या कहता है?"””

6 “ उन्होंने उसे आज़माने के लिए ये कहा, ““ताकि उस पर इल्ज़ाम लगाने की कोई वजह निकालें | मगर ईसा' झुक कर उंगली से ज़मीन पर लिखने लगा |""”

7 “ जब वो उससे सवाल करते ही रहे, तो उसने सीधे होकर उनसे कहा, ““जो तुम में बेगुनाह हो, वही पहले उसको पत्थर मारे |""”

8 और फिर झुककर ज़मीन पर उंगली से लिखने लगा |

9 वो ये सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक-एक करके निकल गए, और ईसा ' अकेला रह गया और 'औरत वहीं बीच में रह गई |

10 “ ईसा ' ने सीधे होकर उससे कहा, ““ऐ 'औरत, ये लोग कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर सज़ा का हुक्म नहीं लगाया?"””

11 “ उसने कहा, ““ऐ खुदावन्द ! किसी ने नहीं |“"ईसा ' ने कहा, ““मैं भी तुझ पर सज़ा का हुक्म नहीं लगाता; जा, फिर गुनाह न करना |""”

12 “ ईसा ' ने फिर उनसे मुखातिब होकर कहा, ““दुनिया का नूर मैं हूँ; जो मेरी पैरवी करेगा वो अन्धेरे में न चलेगा, बल्कि ज़िन्दगी का नूर पाएगा |""”

13 “ फ़रीसियों ने उससे कहा,“”तू अपनी गवाही आप देता है, तेरी गवाही सच्ची नहीं |""”

14 “ईसा' ने जवाब में उनसे कहा, ““अगरचे मैं अपनी गवाही आप देता हूँ, तो भी मेरी गवाही सच्ची है; क्यूंकि मुझे मा'लूम है कि मैं कहाँ से आता हूँ या कहाँ को जाता हूँ |""”

15 तुम जिस्म के मुताबिक़ फैसला करते हो, मैं किसी का फैसला नहीं करता |

16 और अगर मैं फ़ैसला करूं भी तो मेरा फैसला सच है; क्यूंकि मैं अकेला नहीं, बल्कि मैं हूँ और मेरा बाप है जिसने मुझे भेजा है |

17 और तुम्हारी तौरेत में भी लिखा है, कि दो आदमियों की गवाही मिलकर सच्ची होती है |

18 “ एक मैं ख़ुद अपनी गवाही देता हूँ, और एक बाप जिसने मुझे भेजा मेरी गवाही देता है|"””

19 “ उन्होंने उससे कहा, ““तेरा बाप कहाँ है?”” ईसा' ने जवाब दिया, ““न तुम मुझे जानते हो न मेरे बाप को, अगर मुझे जानते तो मेरे बाप को भी जानते |""”

20 उसने हैकल में ता'लीम देते वक़्त ये बातें बैत-उल-माल में कहीं; और किसी ने इसको न पकड़ा, क्यूंकि अभी तक उसका वक्त न आया था |

21 “ उसने फिर उनसे कहा, ““मैं जाता हूँ, और तुम मुझे ढूँढोगे और अपने गुनाह में मरोगे |""”

22 “ पस यहूदियों ने कहा, ““क्या वो अपने आपको मार डालेगा, जो कहता है, 'जहाँ मैं जाता हूँ, तुम नहीं आ सकते'?"””

23 “ उसने उनसे कहा, ““तुम नीचे के हो मैं ऊपर का हूँ, तुम दुनिया के हो मैं दुनिया का नहीं हूँ |""”

24 “ इसलिए मैंने तुम से ये कहा, कि अपने गुनाहों में मरोगे; क्यूंकि अगर तुम ईमान न लाओगे कि मैं वही हूँ, तो अपने गुनाहों में मरोगे |""”

25 “ उन्होंने उस से कहा, ““तू कौन है? ईसा' ने उनसे कहा, ““वही हूँ जो शुरू' से तुम से कहता आया हूँ |”

26 “ मुझे तुम्हारे बारे में बहुत कुछ कहना है और फैसला करना है; लेकिन जिसने मुझे भेजा वो सच्चा है, और जो मैंने उससे सुना वही दुनिया से कहता हूँ |""”

27 वो न समझे कि हम से बाप के बारे में कहता है |

28 “ पस ईसा' ने कहा, ““जब तुम इब्न-ए-आदम को ऊँचे पर चढाओगे तो जानोगे कि मैं वही हूँ, और अपनी तरफ़ से कुछ नहीं करता, बल्कि जिस तरह बाप ने मुझे सिखाया उसी तरह ये बातें कहता हूँ |""”

29 “ और जिसने मुझे भेजा वो मेरे साथ है; उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा, क्यूंकि मैं हमेशा वही काम करता हूँ जो उसे पसंद आते हैं |""”

30 जब वो ये बातें कह रहा था तो बहुत से लोग उस पर ईमान लाए |

31 “ पस ईसा' ने उन यहूदियों से कहा, जिन्होंने उसका यकीन किया था, ““अगर तुम कलाम पर काइम रहोगे, तो हकीकत में मेरे शागिर्द ठहरोगे |”

32 “ और सच्चाई को जानोगे और सच्चाई तुम्हे आज़ाद करेगी|"””

33 “ उन्होंने उसे जवाब दिया, ““हम तो अब्र्हाम की नस्ल से हें, और कभी किसी की गुलामी में नहीं रहे | तू क्यूँकर कहता है कि तुम आज़ाद किए जाओगे?"””

34 “ ईसा' ने उन्हें जवाब दिया, ““मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई गुनाह करता है गुनाह का गुलाम है |""”

35 और गुलाम हमेशा तक घर में नहीं रहता, बेटा हमेशा रहता है |

36 पस अगर बेटा तुम्हें आज़ाद करेगा, तो तुम वाक'ई आज़ाद होगे |

37 मैं जानता हूँ तुम अब्राहम की नस्ल से हो, तभी मेरे कत्ल की कोशिश में हो क्यूंकि मेरा कलाम तुम्हारे दिल में जगह नहीं पाता |

38 “ मैंने जो अपने बाप के यहाँ देखा है वो कहता हूँ ,और तुम ने जो अपने बाप से सुना वो करते हो |""”

39 “ उन्होंने जवाब में उससे कहा,“”हमारा बाप तो अब्रहाम है| ईसा' ने उनसे कहा, ““अगर तुम अब्रहाम के फर्जन्द होते तो अब्रहाम के से काम करते | “

40 लेकिन अब तुम मुझ जैसे शख्स को कत्ल की कोशिश में हो, जिसने तुम्हे वही हक़ बात बताई जो ख़ुदा से सुनी; अब्रहाम ने तो ये नहीं किया था |

41 “ तुम अपने बाप के से काम करते हो |“"उन्होंने उससे कहा, ““हम हराम से पैदा नहीं हुए | हमारा एक बाप है या'नी ख़ुदा |""”

42 “ ईसा' ने उनसे कहा, ““अगर ख़ुदा तुम्हारा होता, तो तुम मुझ से मुहब्बत रखते; इसलिए कि मैं ख़ुदा में से निकला और आया हूँ, क्यूंकि मैं आप से नहीं आया बल्कि उसी ने मुझे भेजा |""”

43 तुम मेरी बातें क्यूँ नहीं समझते? इसलिए कि मेरा कलाम सुन नहीं सकते |

44 तुम अपने बाप इब्लीस से हो और अपने बाप की ख्वाहिशों को पूरा करना चाहते हो | वो शुरू' ही से खूनी है और सच्चाई पर काइम नहीं रहा, क्यूंकि उसमें सच्चाई नहीं है | जब वो झूठ बोलता है तो अपनी ही सी कहता है, क्यूँकि वो झूठा है बल्कि झूट का बाप है |

45 लेकिन मैं जो सच बोलता हूँ, इसी लिए तुम मेरा यकीन नहीं करते |

46 तुम में से कौन मुझ पर गुनाह साबित करता है ?अगर मैं सच बोलता हूँ, तो मेरा यकीन क्यूँ नहीं करते?

47 “ जो ख़ुदा से होता है वो ख़ुदा की बातें सुनता है; तुम इसलिए नहीं सुनते कि ख़ुदा से नहीं हो |""”

48 “ यहूदियों ने जवाब में उससे कहा, ““क्या हम सच नही कहते, कि तू सामरी है और तुझ में बदरूह है |""”

49 “ ईसा ' ने जवाब दिया, ““मुझ में बदरूह नहीं; मगर मैं अपने बाप की 'इज़्ज़त करता हूँ, और तुम मेरी बे'इज़्ज़ती करते हो “"”

50 लेकिन मैं अपनी तारीफ़ नहीं चाहता; हाँ, एक है जो उसे चाहता और फैसला करता है |

51 “ मैं तुम से सच कहता हूँ कि अगर कोई इन्सान मेरे कलाम पर 'अमल करेगा, तो हमेशा तक कभी मौत को न देखेगा |""”

52 “ यहूदियों ने उससे कहा, ““अब हम ने जान लिया कि तुझ में बदरूह है ! अब्रहाम मर गया और नबी मर गए, मगर तू कहता है, 'अगर कोई मेरे कलाम पर 'अमल करेगा, तो हमेशा तक कभी मौत का मज़ा न चखेगा |'”

53 “ हमारा बाप अब्रहाम जो मर गया, क्या तू उससे बड़ा है? और नबी भी मर गए |' तू अपने आपको क्या ठहराता है?"””

54 “ ईसा' ने जवाब दिया, ““अगर मैं आप अपनी बड़ाई करूं, तो मेरी बड़ाई कुछ नहीं; लेकिन मेरी बड़ाई मेरा बाप करता है, जिसे तुम कहते हो कि हमारा ख़ुदा है |”

55 तुम ने उसे नहीं जाना, लेकिन मैं उसे जानता हूँ; और अगर कहूँ कि उसे नहीं जानता, तो तुम्हारी तरह झूठा बनूँगा | मगर मैं उसे जानता और उसके कलाम पर 'अमल करता हूँ |

56 “ तुम्हारा बाप अब्रहाम मेरा दिन देखने की उम्मीद पर बहुत ख़ुश था, चुनांचे उसने देखा और ख़ुश हुआ |""”

57 “ यहूदियों ने उससे कहा, ““तेरी 'उम्र तो अभी पचास बरस की नहीं, फिर क्या तूने अब्रहाम को देखा है?"””

58 “ ईसा' ने उनसे कहा, ““मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि पहले उससे कि अब्रहाम पैदा हुआ मैं हूँ |""”

59 पस उन्होंने उसे मारने को पत्थर उठाए, मगर ईसा' छिपकर हैकल से निकल गया |